What is Old Pension Scheme and New Pension Scheme 2023: क्या है पुरानी पेंशन स्कीम, नई पेंशन योजना को कैसे समझें?

What is Old Pension Scheme and New Pension Scheme 2023 पिछले काफी समय से लोग पुरानी पेंशन स्कीम को फिर से बहाल करने को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। जानकार मानते हैं कि New pension scheme compared to old scheme में कर्मचारियों को काफी कम फायदे मिलते हैं, जिससे उनका भविष्य सुरक्षित नहीं माना जा सकता। यही नहीं, जब नौकरी पूरी हो जाएगी और जो पैसे मिलेंगे उस पर टैक्स भी देना पड़ता है।

हम अपनी आजीविका चलाने के लिए कमाई करते हैं। कोई Job करता है, तो कोई अपना बिजनेस करता है। वहीं, जो लोग सरकारी नौकरी करते हैं (केंद्र या राज्य सरकार के कर्मचारी के तौर पर) उन्हें Pension देने का प्रावधान है। पिछले कुछ समय से आप ओपीएस यानी OLD Pension Yojana और NPS यानी New Pension Yojana 2023 पर विभिन्न सरकारों और कर्मचारी संगठनों के बीच रार ठनी हुई है। आइए जानते हैं क्या है पुरानी पेंशन स्कीम यानी ओपीएस जिसे कर्मचारी संगठन लागू करने की मांग कर रहे हैं। NPS यानी New Pension Scheme 2023 का विरोध क्यों हो रहा है।

Old Pension Scheme

क्या है पुरानी पेंशन योजना?

बात अगर Old Pension Yojana की करें, तो इसमें Employee के सेवा काल के आखिर के वेतन का 50 फीसदी पेंशन के रूप में आजीवन किया जाता था। इसकी पूरी राशि का भुगतान सरकार की तरफ से किया जाता था। हालांकि, दिवंगत अटली बिहारी वाजपेयी की सरकार ने दिसंबर 2003 में इस OLD Pension Schemes को खत्म कर दिया था। अब उसी OLD Pension Yojana को लागू करने के लिए विभिन्न Employee Organizations सड़कों पर उतर रहे हैं।

केंद्र और राज्यों में सरकारी कर्मचारियों के लिए पेंशन अंतिम आहरित मूल वेतन का 50 प्रतिशत निर्धारित किया गया था। मतलब सेवा के आखिरी दौर में जितना वेतन मिलता था, उसका आधा प्रतिमाह रिटायरमेंट के बाद पेंशन के तौर पर मिलता था। इसके लिए कर्मचारियों के वेतन से कटौती भी नहीं होती थी।

पुरानी पेंशन योजना को कैसे समझें?

अगर किसी Retired Government Employee का सेवा में रहते हुए मासिक मूल वेतन 10,000 रुपये था, तो उसे 5,000 रुपये की पेंशन का आश्वासन दिया जाता था। इसके अलावा सरकार द्वारा सेवारत कर्मचारियों के लिए घोषित महंगाई भत्ते या डीए में बढ़ोतरी का असर भी पेंशनभोगियों के मासिक भुगतान पर पड़ता था। मतलब भत्ते और डीए का लाभ पेंशनभोगियों को भी मिलने लगता था।

अभी तक सरकार द्वारा भुगतान की जाने वाली न्यूनतम पेंशन नौ हजार रुपये प्रति माह है और अधिकतम 62,500 रुपये है। (केंद्र सरकार में उच्चतम वेतन का 50 प्रतिशत, जो कि 1,25,000 रुपये प्रति माह है)। पुरानी पेंशन योजना यानी OPS को 2004 में बंद कर दिया गया था। इसके बदले नई पेंशन योजना लागू कर दी गई।

पिछले काफी समय से लोग पुरानी पेंशन स्कीम को फिर से बहाल करने को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। जानकार मानते हैं कि पुरानी योजना के मुकाबले नई पेंशन योजना में कर्मचारियों को काफी कम फायदे मिलते हैं, जिससे उनका भविष्य सुरक्षित नहीं माना जा सकता। यही नहीं, जब नौकरी पूरी हो जाएगी और जो पैसे मिलेंगे उस पर टैक्स भी देना पड़ता है। यही सब वजह है कि Employee Organizations पुरानी पेंशन योजना का विरोध कर रहे हैं।

What is Old Pension Scheme and New Pension Scheme 2023

वहीं दूसरी ओर सरकार का मत इसके उलट है। आरबीआई के एक शोध पत्र में कहा गया है कि OLD Pension Schemes (ओपीएस) के मामले में राजकोषीय बोझ नई पेंशन योजना से 4.5 गुना तक अधिक हो सकता है। राज्यों का पुरानी पेंशन योजना पर वापस लौटना पीछे की ओर कदम रखने जैसा है। यह मध्यम से लंबी अवधि में राज्यों के वित्तीय स्थिति को अस्थिर कर सकता है।

राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड, पंजाब एवं हिमाचल प्रदेश ने OLD Pension Yojana को लागू करने का फैसला किया था। ओपीएस में परिभाषित लाभ हैं, जबकि एनपीएस में योगदान परिभाषित है। ओपीएस में अल्पकालिक आकर्षण है। वही मध्यम से लंबे समय में यह राज्यों के लिए एक चुनौती बन सकता है।

पुरानी पेंशन योजना लागू करना सरकार के लिए चुनौतीपूर्ण क्यों?

राज्य 2040 तक ओपीएस पर वापस लौटने से वार्षिक पेंशन खर्च में सकल घरेलू उत्पाद का केवल 0.1 प्रतिशत बचाएंगे। लेकिन 2040 के बाद वार्षिक सकल घरेलू उत्पाद के 0.5 प्रतिशत तक पेंशन खर्च में औसत अतिरिक्त वृद्धि करनी होगी। लेख में चेतावनी दी गई है कि राज्यों का ओपीएस पर वापस लौटने से लंबी अवधि में उनके राजकोषीय तनाव को अस्थिर स्तर तक बढ़ा सकता है।

पुरानी पेंशन योजना से सरकार को क्या समस्या है?

  • मुख्य समस्या यह थी कि OLD Pension Yojana की देनदारी अनफंडेड रही। मतलब आय का कोई जरिया नहीं था और भुगतान की राशि में लगातार इजाफा होते जा रहा था।
  • भारत सरकार के बजट में हर साल पेंशन के लिए प्रावधान किया जाता है।
  • भविष्य में साल दर साल भुगतान कैसे किया जाए, इस पर कोई स्पष्ट योजना नहीं थी।
  • एक तरफ पेंशन की देनदारियां बढ़ती जा रही थीं तो दूसरी ओर हर साल पेंशनर्स को दी जाने वाली सुविधाओं में भी बढ़ोतरी। मतलब महंगाई भत्ता, डीए से पेंशन भुगतान की राशि में और भी इजाफा होने लगा था।
  • पिछले तीन दशकों में केंद्र और राज्यों के लिए पेंशन देनदारियां कई गुना बढ़ गई।
  • 1990-91 में केंद्र का पेंशन बिल 3,272 करोड़ रुपये था और सभी राज्यों के लिए कुल व्यय 3,131 करोड़ रुपये था।
  • 2020-21 तक, केंद्र का बिल 58 गुना बढ़कर 1,90,886 करोड़ रुपये हो गया। राज्यों के लिए यह 125 गुना बढ़कर 3,86,001 करोड़ रुपये हो गया।

नई पेंशन योजना क्या है?

सरकार ने New Pension Scheme को साल 2004 में शुरू किया था। इसके तहत सरकारी कर्मचारियों को निवेश की मंजूरी मिलती है, जिसके तहत वो अपने पूरे करियर में पेंशन खाते में नियमित तौर पर योगदान करके अपने पैसे के निवेश को अनुमति दे सकते हैं।

एनपीएस में जब कर्मचारी का रिटायरमेंट हो जाता है, तो इसके बाद उसे पेंशन राशि का एक हिस्सा एकमुश्त निकालने की छूट मिलती है। वहीं, बाकी रकम के लिए एन्युटी प्लान खरीद सकते हैं। यहां समझ लें कि एन्युटी एक तरह का इंश्योरेंस प्रोडक्ट है, जिसमें एकमुश्त निवेश करना होता है और आप इसे हर महीने, 3 महीने में या साल भर में निकाल सकते हैं।

रिटायर्ड कर्मचारी की मृत्यु होने तक उसे नियमित आमदनी मिलती है। जबकि, अगर उसकी मृत्यु हो जाए, तो पूरा पैसा नॉमिनी को मिल जाता है।